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कविता

जय हिंद के प्रहरी ; पूनम त्रिपाठी "रानी"

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ब्यूरो हिमालयन अपडेट 7018631199 | June 28, 2023 11:59 PM
पूनम त्रिपाठी "रानी"

 

जय मातृभूमि तेरी जय हो विजय हो,
धीर,वीर ,गंभीर,चट्टान,अचल ऊँचा गिरी ह्रदय।

गंगा, यमुना,हिंद महासागर,सरहद के रक्षक,
कदमों से कापें दुश्मन और नारी के गर्भ गिरे।

थरथराए तीनों लोक प्रहरी की ललकार से,
तुम ही शूरवीर हो दुश्मन का मस्तक काटने वाले।

कृष्ण, अर्जुन ,भीम ना कदम रखने देना माटी पर,
शिवा, प्रताप ,ना झुका तुम्हारा मस्तक कहीं पर।

वन ,पर्वत ,हिम सरहद,पर लगे रहते चोकशी पर,
कैसे कोई दुश्मन घुस पाएगा सरहद पर।

सरहद पर भी दुश्मन को गले लगाया तुमने,
उठी उंगली देश पर तो यमलोक भी पहुँचाया।

आरंभ कर प्रचंड हिला दे दुश्मनों का सर,
तुम वीर सपूत धड़कन हो देश के।

फाड़ दो क्षण में तुम दुश्मनों का वक्ष ,
लहू से उनके धरती को सींच दो।

चढ़ जाओं पर्वतों पर शौर्य से संग्राम करो,
तुम वीर भारत माता की संतान हो।

तुम से ही शांति है तुमसे सुकून हिंद देश में,
यह कर्ज हम तुम्हारा ना उतार पाएंगे।

 



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