महक उठे धरती का आँगन मानवता के ज्ञान से, मिलकर साथ निभाए हम सब प्रेम बलिदान से,
बंधुत्व भावना हो सब के मन मे,
अटूट विश्वास और त्याग से,
सदाचार की प्रतिभा से महक उठे मन,,
आओ प्रेम का बीज बोए धरती में,
प्रेम सौहार्द्र अन्न की बाली हो,
विश्व बंधुत्व की हरियाली से धरा महेके,
प्रवाहित कर्म ज्ञान की सरिता हो,
अनंत अभिलाषा जागे सबके मन में,,
सरसों के पीले फूलों से धरती का सौदर्य रहे,
अब ना कहीं कोई बमबारी हो,
विज्ञान पाठ से आगे बढ़े हम,
शिल्प कला ,फूलों से धरती का श्रृंगार हो,
सत कर्मों का मार्ग अपनाएं हम,,
सूर्य की उष्मा और वर्षा से धरती आबाद रहे,
धन धान्य से परिपूर्ण हर खेत खलिहान हो,
तर्क कल्पनाओं से अंतरिक्ष छूँ ले हम,
प्रतिभा में गगन सी ऊंचाई हो,
कर्म ज्ञान खिला रहे धरती का आँगन।