बैसाखी का महत्व मौसम का आगमन, धार्मिक और सामाजिक उत्सव के रूप में है। इसे सिख समुदाय में विशेष रूप से महत्व दिया जाता है। बैसाखी के साथ ही सिख समुदाय में नव वर्ष का भी आगमन होता है। इसे "सिख नव वर्ष" या "नववर्ष" के रूप में जाना जाता है। । इस दिन, सिख समुदाय के लोग खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की गई थी।
सिख नव वर्ष के अवसर पर, सिख समुदाय के लोग परंपरागत रूप से गुरुद्वारे जाते हैं, धार्मिक पाठ और कीर्तन करते हैं, और परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खाने का आनंद लेते हैं। वे भव्य रूप से सजे और प्रसन्नता के साथ इस पर्व का आनंद लेते हैं।इस पर्व के अवसर पर, सिख समुदाय में उत्साह और भगवान के प्रति श्रद्धा का एक माहौल होता है। साथ ही, यह पर्व समाज की एकता और सद्भावना को बढ़ावा देता है।
बैसाखी के अवसर पर लोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का आयोजन करते हैं। यह विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, जैसे कि मेले, नृत्य, गान, परंपरागत खेल, और समाज सेवा। इस अवसर पर लोग नए कपड़े पहनकर, संगीत और नृत्य के माध्यम से खुशियों का इजहार करते हैं।
इस पर्व का महत्व विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होता है, लेकिन सामान्य रूप से यह समृद्धि, समाजिक एकता, और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, यह किसानों के लिए अहमता रखता है, क्योंकि यह उनकी किसानी संबंधी गतिविधियों का आरंभक तिथि होता है।
बैसाखी का धार्मिक महत्व भारतीय समुदायों में विविधता के साथ माना जाता है, और इसका महत्व विभिन्न धर्मों और सम्प्रदायों के लिए भी अलग-अलग हो सकता है। निम्नलिखित धार्मिक समुदायों में बैसाखी का महत्व होता है:
1. सिख धर्म: बैसाखी का अधिकतर महत्व सिख समुदाय के लिए होता है। इसे खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा 1699 में खालसा पंथ की स्थापना के रूप में मनाया जाता है। सिख समुदाय के लोग इस दिन को गुरु परम्परा के महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाते हैं और अपने धार्मिक आदर्शों का पालन करते हैं।
2. हिंदू धर्म: बैसाखी को हिंदू धर्म में भी महत्वपूर्ण रूप से माना जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग में नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है और वैशाख मास के पहले दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है। हिंदू समुदाय के अनेक स्थानों पर, लोग इस दिन को नव वर्ष के रूप में धार्मिक रीति-रिवाज़ के साथ मनाते हैं।
3. बौद्ध धर्म: बैसाखी को बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे गौतम बुद्ध का जन्म, बोध का दिन और महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। बौद्ध समुदाय के लोग इस दिन पर ध्यान, ध्यान और धर्मिक गतिविधियों में विशेष रूप से लगे रहते हैं।
इन धार्मिक समुदायों में बैसाखी का महत्व उनके धार्मिक और सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यह उनकी संगीत, नृत्य, प्रार्थना और सेवा के माध्यम से मनाया जाता है। सम्पूर्ण रूप से, बैसाखी एक सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक अवसर है जो भारतीय समाज में विविधता और एकता को उजागर करता है।