स्वस्थ भारतीय राजनीति को प्रभावित करने वाले कई कारक हैंi स्वस्थ राजनीतिक प्रणाली और धार्मिक आस्था दोनों ही एक समाज के सुधार और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन इन दोनों के बीच कई बार संघर्ष भी उत्पन्न हो सकता है। राजनीतिक प्रणाली और धार्मिक आस्था दोनों ही सामाजिक और राष्ट्रीय विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, दोनों के बीच संतुलन होना चाहिएI
धार्मिक आस्था भारतीय राजनीति पर गहरा प्रभाव डालती है। भारत एक विविध धार्मिक समृद्धि का देश है, जिसमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन और अन्य धार्मिक समुदाय हैं। इन धार्मिक समुदायों की आस्था, संप्रदाय, और रूढ़िवाद भारतीय राजनीति को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
धार्मिक समुदायों के बीच वोटबैंक राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। राजनीतिक दल अक्सर धार्मिक समुदायों को अपने वोट की दृष्टि से लक्ष्य के रूप में निशाना बनाते हैं और उनकी मांगों और आशाओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं। धार्मिक विवाद भारतीय राजनीति में अक्सर उठते हैं, जैसे धार्मिक समुदायों के बीच मंदिर-मस्जिद विवाद, धार्मिक संवैधानिकता, और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे। इन विवादों का समाधान राजनीतिक नेताओं और सरकारों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है।
भारतीय राजनीति पर धार्मिक नेताओं का बड़ा प्रभाव होता है । वे अक्सर अपने समुदायों के हित में राजनीतिक फैसलों को प्रभावित करते हैं और अपने समर्थकों के बीच आदर्शों की भूमिका निभाते हैं। भारतीय संविधान धार्मिक स्वतंत्रता को समर्थन करता है, जिसमें सभी धर्मों के अनुयायियों को अपने धर्म के अनुसार आचरण करने का अधिकार होता है। राजनीतिक नेता इसे बनाए रखने के प्रयास करते हैं, लेकिन कई बार यह स्वतंत्रता के मुद्दों पर विवाद उत्पन्न होते हैं।
इन सभी कारकों से स्पष्ट होता है कि धार्मिक आस्था भारतीय राजनीति को सीधे और परिपक्वता से प्रभावित करती है। धार्मिक तत्व भारतीय समाज और राजनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाए रहते हैं, और उनका संयोजन राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस प्रकार, स्वस्थ राजनीतिक प्रणाली एक सामाजिक संरचना की ओर प्रगति के लिए महत्वपूर्ण एकमात्र उपाय है। यह न्याय, समरसता, और लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने और एक समृद्ध और विकसित समाज की दिशा में प्रयास करती है।