सफलता की कहानी
शिमला,
वर्तमान प्रदेश सरकार ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के प्रति कृतसंकल्प है तथा समावेशी समाज के निर्माण में महिलाओं की प्रमुख भूमिका को बल देने में सर्वस्पर्शी नीतियों व कार्यक्रमों को धरातल पर लागू कर रही है। इसी कड़ी में महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन पर बल दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को वैश्विक कोरोना संकटकाल में सुदृढ़ किया जा सके और ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा सके।
शिमला जिला के रोहडू उपमण्डल में ग्राम पंचायत समोली मंे सुदर्शना महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया है। इस समूह में 25 महिलाओं की सक्रिय भागीदारी है जो सी ग्रेड सेबों से चटनी व जैम तैयार करती है। यह समूह क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
समूह की अध्यक्षा सुदर्शना चैहान ने बताया कि उद्यान विकास अधिकारी रोहडू डाॅ. कुशाल मेहता ने उन्हें खण्ड स्तर पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया ताकि सेब के स्वादिष्ट एवं बेहतर क्वालिटी के खाद्य पदार्थो को तैयार करने की बारिकियों को समझ सके।उन्हें तैयार किए गए उत्पादों की बिक्री से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गई।
प्रशिक्षण में उपलब्ध जानकारी से समोली पंचायत की महिलाओं को प्रेरणा मिली तथा उन्होंने सेब की चटनी व जैम बनाने का कार्य शुरू किया जिससे परिवार की आय में बढ़ोतरी हुई।
सुदर्शना चैहान ने बताया कि यह उत्पाद बेंगलुरू, हैदराबाद, नागपुर व दिल्ली में विक्रय केन्द्रों पर उपलब्ध हैं सेब की चटनी लगभग 400 से 800 रुपये प्रति किलो बिक रही है। शीघ्र ही इन उत्पादों को अन्य मुख्य शहरों में उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उद्यान विकास अधिकारी रोहडू ने बताया कि सुदर्शना स्वयं सहायता समूह की कामयाबी को देखकर रोहडू उपमण्डल में भी विभिन्न प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे ताकि इस क्षेत्र की महिलाएं भी अपने परिवार की आर्थिकी में बढोतरी लाने में मददगार हो सकें।
स्वयं सहायता समूह समोली रोहडू क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का पर्याय है तथा प्रेरणा स्त्रोत भी है। महिलाएं सेब की चटनी व जैम के अतिरिक्त आचार, सेब के चिप्स व टमाटर साॅस जैसे अन्य उत्पादों के कारोबार का विस्तार करने के लिए तत्पर है। नाबार्ड के सहयोग से इन समूहों के लिए ब्याज मुक्त ऋण लेने की भी योजना है, जिससे उनकी आर्थिकी में इजाफा हो रहा है।
उद्यान विकास अधिकारी रोहडू डाॅ. कुशाल मेहता ने बताया कि इस समूह की कामयाबी के पीछे नोडल अधिकारी डाॅ. देवराज कायथ व उपायुक्त शिमला अमित कश्यप का भी योगदान है, जिन्होंने कोरोना संकटकाल में महिलाओं को आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर व सशक्त बनाने के लिए प्रोसेसिंग प्रशिक्षण पर विशेष बल देने का आह्वान किया, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान हो सके।