शिमला,
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार को आदेश दिए हैं कि नगर निगम शिमला भराड़ी के मनोनीत पार्षद संजीव सूद को अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा डिफाल्टर करने के आदेशों पर तुरंत प्रभाव से अमल करें! हाईकोर्ट के आदेश के बाद मनोनीत पार्षद की सदस्यता रद्द हो गई है ,और तुरंत प्रभाव से निगम की बैठक में भाग लेने से भी रोक लगा दी है।
अवैध निर्माण नहीं
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायाधीश ज्योत्सना अरीवाल दुआ की खंडपीठ ने राकेश कुमार द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के आदेश के मदर जारी आदेश पारित किए बता दें कि याचिका में कहा गया कि मनोनीत पार्षद संजीव सूद ने साल 2009 में अवैध निर्माण करने के मामले में शिमला नगर निगम को हलफनामा दिया था ,कि वह स्वीकृत मैप के अलावा किया गया अतिरिक्त निर्माण हटा लेंगे, लेकिन साल 2009 से 19 तक उन्हें अवैध निर्माण नहीं हटाया जिसके बाद रकेश कुमार ने वर्ष 2019 में अंडर पंचवटी के पास शिकायत दर्ज की वहीं याचिकाकर्ता के आरोपों को सही पाया गया तथा मनोनीत पार्षद संजीव सूद को डिफाल्टर घोषित होने के बावजूद भी कोई भी करवाई नहीं की गई और वे लगातार बैठकों में हिस्सा लेता रहा! बावजूद इसके कि 2019 में अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा अयोग्य करार दे दिया गया था फिर भी बैठकों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा था कोर्ट ने अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के देशों को अंतिम आदेश माना जिसके और सरकार को तत्काल प्रभाव से संजीव सूद की सदस्यता रद्द करने के आदेश पारित किए!