शिमला,
प्रख्यात लेखक निर्मल वर्मा की शिमला की वादियों में यादें ताजा करने के दृष्टिगत हिमालय साहित्य मंच द्वारा गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी उनके जन्म दिवस पर रिज मैदान टका बैंच में स्थित अर्से से बंद पड़े बुक कैफे के प्रांगण से दूसरी “निर्मल वर्मा स्मृति यात्रा” का आयोजन किया गया जिसमें 35 लेखकों सहित कई शोध छात्रों और मीडिया कर्मियों ने भाग लिया। यात्रा ठीक 11 बजे कैथू के लिए शुरू हुई। कैथू तारा हाल से कुछ स्थानीय साहित्य प्रेमी भी इस यात्रा में शामिल हुए। वहां से सभी लेखक भज्जी हाउस पहुंचे और हरबर्ट विला का अवलोकन किया जहां निर्मल जी का जन्म 3 अप्रैल, 1929 को हुआ था। उसके बाद सभी लेखक भज्जी हाउस पहुंचे और निर्मल वर्मा जी का वह फ्लैट भी देखा जहां उन्होंने अपने बचपन के 15 वर्ष गुजारे। यह जानकारी हिमालय मंच के अध्यक्ष व लेखक एस आर हरनोट ने मीडिया को दी।
उन्होंने प्रदेश सरकार के भाषा एवं संस्कृति सचिव राकेश कंवर और निदेशक भाषा विभाग पंकज ललित जी का आभार व्यक्त किया कि हमारी मांग पर निर्मल वर्मा स्मृति पट्टल निजी प्रॉपर्टी से बदल कर अब सरकारी जगह भज्जी हाउस के गेट पर स्थापित कर दिया है। एस आर हरनोट ने बताया कि लेखकों ने भज्जी हाउस में एक गोष्ठी भी आयोजित की जिसमें निर्मल वर्मा की स्मृति में लेखकों ने कई रचनाओं के पाठ किए और एक प्रस्ताव पारित किया कि भज्जी हाउस को निर्मल वर्मा के नाम पर लेखक गृह के रूप में स्थापित किया जाए जहां उनकी पुस्तकों और चित्रों को भी प्रदर्शित किया जा सके। साथ सरकार से यह भी मांग की कि हिमाचल विश्वविद्यालय शिमला में निर्मल वर्मा चेयर स्थापित की जाए।
गोष्ठी की शुरुआत करते हुए हरनोट ने निर्मल वर्मा के हरबर्ट विला, भज्जी हाउस, बटलर स्कूल और शिमला की कई स्मृतियां साझा की। मंच का संचालन दीप्ति सारस्वत ने किया। डॉ. विद्या निधि छाबड़ा ने निर्मल वर्मा के भाई राम कुमार वर्मा का एक बहुत ही आत्मीय पत्र पढ़ा। डॉ.हेमराज कौशिक जी ने लाल टीन की छत उपन्यास पर चर्चा की और उनकी रचना प्रक्रिया पर बातचीत की। भारती कुठियाला ने उनकी कहानी अंधेरे में से कुछ अंश पढ़ें। रत्न चंद निर्झर ने उनका एक पत्र पढ़कर सुनाया। प्राची जो छत्तीसगढ़ से आई थी उन्होंने निर्मल वर्मा जी के अकेलेपन को लेकर बात की। अभिषेक तिवारी ने भी निर्मल वर्मा जी की पुस्तकों को लेकर चर्चा की। कुल राजीव पंत जी ने गगन गिल जी का लिखा संस्मरण “शिमला और निर्मल:कुछ स्मृतियां” पढ़ा। डॉ.देवेंद्र गुप्ता जी ने निर्मल जी के साहित्य पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने निर्मल जी का वह वक्तव्य भी पढ़ा जो उन्होंने ज्ञान पीठ पुरस्कार लेते दिया था।
प्रदेश सरकार को भी उनके बारे स्मरण करवाना चाहते हैं ताकि उन्हें भी यह एहसास रहे कि एक विश्व विख्यात लेखक का जन्म शिमला की वादियों में हुआ था और वे अपने को हिमाचल से संबंधित मानते थे।जिनकी यादें आज भुला दी गई हैं और उनका जन्म स्थान जहां निजी संपत्ति हो गया है वहां भज्जी हाउस को सरकार ने सरकारी क्वार्टर बना दिया है जबकि उसे निर्मल जी की यादों में सहेज कर उसे लेखक गृह और पुस्तकालय इत्यादि में बदला जा सकता था। ऐसा करने से न केवल इस विश्व विख्यात लेखक को सम्मान मिलेगा बल्कि देश विदेश के साहित्य प्रेमी और पर्यटकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र बनेगा।
यात्रा में और गोष्ठी में भाग लिया उनमें डॉ.हेमराज कौशिक, डॉ. देवेंद्र गुप्ता, कुल राजीव पंत, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय,स्नेह नेगी, दक्ष शुक्ला, अश्वनी कुमार, शांति स्वरूप शर्मा, दीप्ति सारस्वत, अभिषेक तिवारी,जगदीश कश्यप, कल्पना गांगटा, डॉ.विद्या निधि छाबड़ा, डॉ. देव कन्या ठाकुर, भूप सिंह रंजन, वंदना राणा, नरेश देयोग, मोनिका छट्टू, भारती कुठियाला, लेख राज चौहान, रत्न चंद निर्झर, उमा ठाकुर नधैक, डॉ.अनिता शर्मा, यादव चंद सलहोत्रा, कौशल्या ठाकुर,अनिल शर्मा नील, हरदेव सिंह धीमान, कौशल्या ठाकुर, यादव कुमार, राधा सिंह, कुलदीप गर्ग तरुण तथा विचलित अजय, किरण, प्राची, काजोल, यूनिवर्सिटी और स्कूलों के छात्र छात्रायें तथा स्थानीय लोग शामिल रहे।