Thursday, November 21, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
सीआईएसएफ को मिली पहली महिला बटालियन एसजेवीएन को विद्युत मंत्रालय द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा अवार्ड 2024 में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गयाव्यवस्बथा सुधारने में डीसी हमीरपुर की नई पहल , बचत भवन परिसर में आम जनता को मिलेंगी सुविधाएं कृषि विभाग की योजनाओं से लाभान्वित किसानों के खेतों में पहुंचे उपायुक्त चंबा,सरकार हर मोर्चे पर बुरी तरह फेल : रणधीर *** लोक निर्माण मंत्री ने बनुटी में आयोजित निःशुल्क चिकित्सा शिविर का किया शुभारंभ कल हमीरपुर में होगा कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का मंहगाई, बेरोजगारी और तानाशाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शनसामर्थ्य कार्यक्रम के व्यापक लाभ के लिए पात्रता शर्तों में बदलाव
-
कविता

साँसों के रहते मुक्ति नहीं मिलती ;डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव

-
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव | June 24, 2023 10:41 PM
फ़ोटो:डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव

 

कोई नहीं धरा पर ऐसा है,जो जीवन में मुक्ति पाया।
जीवन रहते नहीं ये संभव,अंतिम क्षण मुक्ति पाया।।

जीवन भर ये मानव अपना,धर्म-कर्म सभी निभाया।
एक जिम्मेदारी पूर्ण हुई तो,दूजा भी सर पर आया।।

जन्मा मानव तन में है शिशु,लिए बुढापे तक आया।
अपने हर वय में इंसा कुछ,न कुछ करते ही आया।।

कभी पढ़ाई,कभी नौकरी,कभी शादी ब्याह रचाया।
बच्चे पाला,उन्हें पढ़ाया, उनका भी घर है बसाया।।

सामाजिक कर्तव्य से मुक्त हुए,आध्यात्मिक आया।
धर्म एवं आध्यात्म में थोड़ा,अपनी रुचि है बढ़ाया।।

इधर उम्र बढ़े,उधर नाती-पोते,का समय भी आया।
मन बच्चों में है लगा रहे,कोई भाग न इससे पाया।।

जीवन रहते नाती-पोतों संग,खेला है उन्हें खेलाया।
जितना संभव था जीवन में, हर एक बोझ उठाया।।

कोई इंसान कभी जीवन में,कहाँ मुक्त वो हो पाया।
एक जिम्मेदारी से मुक्त हुए,तो अगली पे है धाया।।

मानव जीवन ये ऐसा ही है,वह नहीं मुक्त हो पाया।
मोह माया के जाल में फँस,हरदम ये दौड़ लगाया।।

कोई नहीं धरा पर ऐसा है,जीवन रहते मुक्ति पाया।
साँसें रहते नहीं है संभव,अंतिम क्षण मुक्ति पाया।।

 



-
-
Have something to say? Post your comment
-
और कविता खबरें
आओ हम स्कूल चले, नव भारत का निर्माण करें। एसजेवीएन लिमिटेड द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन का आयोजन राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान 2023 से सम्मानित हुए युवा कवि राजीव डोगरा https://youtube.com/watch?v=CwwB-3QWd7c&si=sDQTJwQAxAjzhthR हिंदी की यही अभिलाषा हिंदी बने राष्ट्रभाषा; लोकेश चौधरी क्रांति आन मिलो मुरारी: सबके चित में तुम बसे , जैसे मुरली ताल शान ए कांगडा़ सम्मान से सम्मानित हुए युवा कवि राजीव डोगरा आज मैं आजादी की गाथा सुनाती हूं ,कैसे मिली आजादी यह सबको बताती हूंं ; लोकेश चौधरी ' क्रांति नैनों में तस्वीर तुम्हारी ,दिल में यादों का संसार ;अंजना सिन्हा "सखी पुकार रही है उसकी सजनी, अबकी मिल जाए मेले; अंजना सिन्हा "सखी " जय हिंद के प्रहरी ; पूनम त्रिपाठी "रानी"
-
-
Total Visitor : 1,69,00,923
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy