शिमला,
हिमाचल प्रदेश राजकीय भाषायी अध्यापक संघ ने हिमाचल प्रदेश सरकार से हाल ही में सी & वी अध्यापकों और कनिष्ठ बुनियादी अध्यापकों की अन्तर जिला स्थानांतरण नीति को आगामी आदेशों तक पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने का कड़ा विरोध किया है। संघ के राज्य अध्यक्ष हेमराज ठाकुर ने बताया कि यह सरकार और विभाग का एक अनुचित और अन्याययुक्त फैसला है, इसे सरकार को तुरन्त प्रभाव से वापिस लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि पूर्व सरकार द्वारा उक्त दोनों वर्गों के लगभग 43 हजार शिक्षकों को लम्बे संघर्ष के बाद प्रदान की गई इस चिर प्रतीक्षित राहत को सरकार इस तरह हल्के में प्रतिबंधित करने की न सोचें। हेमराज ठाकुर ने माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया है कि जनाब इस सन्दर्भ में शिक्षा विभाग की सलाहों में न आए। यह फैसला सरकार को सकते में डाल सकता है क्योंकि इससे उक्त वर्गों के शिक्षकों में खासा रोष फैल गया है और वे आगामी चुनावों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे। संघ के राज्य अध्यक्ष हेमराज ठाकुर,संस्थापक नरेंद्र कुमार शर्मा,सचिव अर्जुन सिंह, महिला मोर्चा अध्यक्ष मीरा देवी, संयोजक धनवीर सिंह , कोष प्रभारी डा ललित और सभी जिलों के प्रधानों और समस्त कार्यकर्णियों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि अन्तर जिला स्थानांतर नीति के सुगमीकरण के प्रारूप को प्रतिबंधित करना बिलकुल भी उचित नहीं है। उन्होंने सामूहिक वक्तव्य में बताया कि इससे अपने घरों से कोसों दूर वर्षों से नौकरी कर रहे सी & वी तथा जे बी टी शिक्षकों को भारी नुकसान झेलना होगा। विशेष कर इस फैसले से उक्त वर्गों की महिला शिक्षिकाओं को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ेगी। संघ के राज्य अध्यक्ष हेमराज ठाकुर ने बताया कि इस मामले में संघ माननीय मुख्यमंत्री जी से भी मिलेगा और उनके समक्ष उक्त वर्गों के अध्यापकों की पीड़ा को व्यक्त करेगा। ठाकुर ने कहा कि इसके स्थान पर सरकार और विभाग को माननीय उच्च न्यायालय के 4 सितम्बर 2023 के फैसले को लागू करना चाहिए और उक्त वर्ग को राज्य कैडर में ला कर कर्मचारी हितैषी होने का प्रमाण देना चाहिए। कर्मचारियों को शोषित अवशोषित या गोल गोल घुमाने से सरकार गलत कर रही है। ऐसे में विभाग द्वारा दी गई सलहों से हट कर सरकार को पुनः इस सन्दर्भ में उचित निर्णय लेना चाहिए। हेमराज ने बताया कि संघ सामूहिक रूप से अंतर जिला स्थानांतरण नीति के सम्बन्ध में निकाली अधिसूचना को वापिस लेने की मांग सरकार और विभाग से करता है।