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शिक्षा

हिन्दी विषय में कक्षा छठवीं में "अक्षरों का महत्व" पाठ हटाना बाल विकास और मनोविज्ञान के अनुसार अनुचित; ठाकुर

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ब्यूरो 7018631199 | March 19, 2024 04:51 PM
 
 
शिमला,
राजकीय भाषायी अध्यापक संघ के राज्य अध्यक्ष हेमराज ठाकुर, महासचिव अर्जुन सिंह, कोषाध्यक्ष ललित कुमार, संघ के संस्थापक नरेन्द्र कुमार शर्मा, महिला मोर्चा की राज्य अध्यक्ष मीरा शर्मा और संयोजक धनवीर सिंह के साथ - साथ सभी जिलों के प्रधानों ने स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला के अध्यक्ष एवम सचिव से 18/03/2024 को बोर्ड द्वारा स्कूली पाठ्यक्रम कम करने सम्बंधी अधिसूचना के विषय में पुनर विचार करने का आग्रह किया है। संघ के राज्य अध्यक्ष हेमराज ठाकुर ने बताया कि पूरे प्रदेश से हिन्दी भाषा अध्यापकों के फोन उन्हे इस अधिसूचना में कक्षा छठवीं से दसवीं तक के हिन्दी विषय में किए गए परिवर्तन के बारे में आ रहे हैं, जिसमें हिन्दी विषय में कक्षा छठवीं में "अक्षरों का महत्व" पाठ हटाना बाल विकास और मनोविज्ञान के अनुसार अनुचित है। ठीक इसी प्रकार इस कक्षा में पूरक पुस्तक " बाल रामायण" के विषय में भी कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। 
           कक्षा सातवीं में अध्याय 20 "विप्लव " को हटाना कक्षा आठवीं में छायावादी श्रेष्ठ कवि निराला की " ध्वनि " कविता तथा अध्याय 10 " कामचोर " को हटाना भी बाल मनोविज्ञान और साहित्यिक दृष्टि से गलत है। हेमराज ने बताया कि अनुपूरक पुस्तकों को या तो इस मुहिम में सम्पूर्ण रूप से हटा देना चाहिए था या फिर कक्षा छठवीं और सातवीं में बाल रामायण और महाभारत की तरह कक्षा आठवीं में भी कुछ ऐसी ही कथा कहानी या हिन्दी साहित्य की पुस्तक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में C & V अध्यापकों ने बोर्ड की वार्षिक बैठकों में भी कई बार अपनी बात रखी कि कक्षा आठवीं में " भारत की खोज " नामक अनुपूरक पुस्तक एक ऐतिहासिक धरातल पर रची गई गैर साहित्यिक पुस्तक है। इस पुस्तक को सामाजिक विज्ञान विषय के साथ जोड़ा जाना चाहिए न कि हिन्दी विषय के साथ। पर बोर्ड ने इस सन्दर्भ में पाठ्यक्रम कम करने के समय भी कोई विचार नहीं किया। इस पुस्तक को अभी भी यथावत रखा गया है,जोकि परिवर्तित होनी चाहिए थी या फिर इसके अध्याय कम होने चाहिए थे। 
         हेमराज ठाकुर ने व्याकरण के सन्दर्भ में बात करते हुए बताया कि हिन्दी भाषा अध्यापक जितनी बार भी निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा विभाग हिमाचल प्रदेश के साथ बैठक करते हैं और स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला के अध्यक्ष के साथ बैठक करता है,उतनी ही बार उन्होंने अपनी बैठकों में दोनों जगह यही बात रखी है कि कक्षा छठवीं से आठवीं तक के छात्रों को को व्याकरण अथायक्रम वर्तमान पद्धति में निर्धारित किया गया है, वह बाल मनोविज्ञान के आधार पर बिलकुल भी तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में इन कक्षाओं में एफ ए 1 से एफ ए 4 तथा एस ए 1 और एस ए 2 में एक जैसा ही व्याकरण प्रत्येक सत्र और कक्षा के लिए निर्धारित किया गया है , जबकि कक्षा छठवीं में आते ही एफ ए 1 में ही सारा व्याकरण पूछना उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि इस सन्दर्भ में भी निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा विभाग और बोर्ड अध्यक्ष को कई बार हिन्दी भाषा विषय को पढ़ाने वाले अध्यापकों की एक कार्यशाला लगाने के लिए आग्रह किए जा चुका है पर अभी तक हुआ कुछ नहीं है। हेमराज ने बताया कि व्याकरण किसी भी भाषा की कुंजी होती है। इसलिए इन माध्यमिक कक्षाओं में व्याकरण को मास्टर लर्निइंग के सिद्धांत के तहत विभाग वार पढ़ाना चाहिए। कक्षा 6वीं में "वर्ण विचार" और "रचना खंड" , कक्षा सातवीं में " शब्द विचार " और " रचना खण्ड" तथा कक्षा आठवीं में " वाक्य विचार " और " रचना खण्ड" पढ़ाना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह बात संघ के साथ हुई निदेशक प्रारम्भिक की बैठक में भी तय हुई थी कि इस सन्दर्भ में संघ के हिन्दी विषय के अध्यापकों के लिए एक विशेष कार्यशाला लगाई जाएगी। पर आज दिन तक ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है। ऊपर से शिक्षा बोर्ड द्वारा स्कूली पाठ्यक्रम कम करने की अधिसूचना की जा चुकी है। ऐसे में हिन्दी भाषा परिवार में खासा रोष है।उनका मानना है कि यह हिन्दी जैसे संस्कार प्रधान विषय के अध्यापक संघ की अनदेखी है और छात्रों के साथ भी अन्याय है। हेमराज ने बताया कि इस सन्दर्भ में बोर्ड को हर बार की भांति शिक्षक संगठनों को बैठक में बुलाना चाहिए था और संघ के अनुभवी अध्यापकों की समीक्षात्मक राय के अनुसार पाठ्यक्रम कम करने सम्बंधी निर्णय लेना चाहिए था।
          हेमराज ने यह भी बताया कि कक्षा 9वीं और दसवीं की हिन्दी विषय की पुस्तकों में से भी कुछ ऐसे जरूरी और महत्वपूर्ण पाठ और कविताएं हटाई गई है,जिनका इन कक्षाओं के हिन्दी विषय के पाठ्यक्रम में एक विशेष महत्व है । इन में कक्षा नवमीं में " नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया" , " यमराज की दिशा" ," माटी वाली "तथा " कक्षा दसवीं में " मानवीय करुणा की दिव्य चमक", "  स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन" और " एहीं ठैयाँ झूलनी हैरानी हो रामा " आदि को हटाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि निराला जैसे कवि को सम्पूर्ण पाठ्यक्रम से नदारद रखना बहुत ही दुखद है।हेमराज ने बताया कि संघ बोर्ड अध्यक्ष से इस अधिसूचना के पुनर विचार की मांग करता है और संघ को बोर्ड में समीक्षा बैठक प्रदान करने की मांग भी करता है। हेमराज ने बताया कि हिन्दी के पाठ्यक्रम में बोर्ड को हिमाचल के लेखकों और कवियों को भी स्थान देना चाहिए। जहां संघ पाठ्यक्रम को कम करने की अधिसूचना पर प्रतिक्रियात्मक विरोध जताया है, वहीं 30% पाठ्यक्रम कम कर के छात्रों का बोझ कम करने का स्वागत भी करता है। हेमराज ने बताया कि पाठ्यक्रम कम करने सम्बंधी निर्णयों के लिए संघ के अनुभवी अध्यापकों को विश्वास में ले कर ही छात्र हित में निर्णय लेना चाहिए।
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