सफलता की कहानी
बसन्तपुर,
बसन्तपुर विकास खण्ड की सुन्नी तहसील के ठेला गांव का समृद्ध किसान भोपाल सिंह अपने कृषि कार्यों के तहत आज क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहा है। कोरोना संकटकाल में भी इन्होंने कृषि विविधता प्रबंधन के तहत खेती कर अच्छी कमाई की।
भोपाल सिंह ने बताया कि पहले पुराने तरीके से 10 बीघा जमीन पर खेती किया करते थे, तो पूरा नहीं पड़ता था। बस परिवार की आई-चलाई में ही सब कुछ खप्प जाता था। कमाई तो दूर की कौड़ी थी। कच्चा मकान था, खेतों में दिन-भर मियां-बीबी खपे रहते थे, की परिवार का पालन-पोषण हो।
वर्ष, 2016 जनवरी माह में दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना के संबंध में कार्यक्रम देखा तो काफी प्रभावित हुआ। यह ब्लाॅक में विभाग के अधिकारी डाॅ. प्रदीप कुमार हिमराल के पास गए, जिन्होंने न केवल इनका मार्गदर्शन किया बल्कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से उन्नत कृषि कर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करने में किस प्रकार सक्षम हो सकते है, के बारे में जानकारी भी दी।
लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बोले वह शब्द ‘‘जिस दिन देश का किसान ऊपर उठ गया उस दिन देश खुद व खुद ऊपर उठ जाएगा’’ भोपाल सिंह की प्रेरणा का स्त्रोत रहे और उन्हें जमीदारी से जोड़ने में कामयाब रहे।
वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत छोटी स्ंिप्रकलर प्रणाली खेतों में स्थापित की जो 1 लाख 24 हजार 618 रुपये की लागत की थी, जिसमें से 99 हजार 693 रुपये सरकार द्वारा उपदान के रूप में प्रदान किए गए। पहले 10 बीघा खेतों को सींचने में 5/6 दिन का समय लगता था। अब 6 बीघा खेत को सींचने मे 4 घण्टे लगने लगे। पानी की भी बचत हुई, अब बचा हुआ समय खेती के साथ-साथ पशु पालन में लगने लगा। समय की बचत ने कार्य क्षमता को बढ़ाया और फसल में वृद्धि होने लगी। पहले जहां एक बीगे में प्रति वर्ष 30 हजार रुपये की आमदन होती थीे अब वहां प्रति वर्ष डेढ़ लाख रुपये से अधिक की आमदन होने लगी। कहां तो साल में केवल एक लाख 80 हजार रुपये कुल प्राप्त होते थे और कहां अब साल के 9 लाख रुपये की आमदन होने लगी।
आमदनी बढ़ी तो भोपाल सिंह ने 1 लाख रुपये में उन्नत किस्म की मुर्रा नस्ल का भैंसा खरीदा, जो हरियाणा पंजाब की देसी भैंस नस्ल है। इस भैंसे से संकर नस्ल के तहत भैंसे पैदा किए जो अब अच्छा दूध देती है। उन्होंने इस क्षेत्र में अन्य किसानों की भी संकर नस्ल से पशु तैयार किए। आज भोपाल सिंह का परिवार दूध व संकर नस्ल तैयार करके लगभग ढाई लाख रुपये से अधिक की अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहा है। साथ ही क्षेत्र के अन्य किसानों को भी संकर नस्ल के माध्यम से पशुधन में वृद्धि की गई।
कृषि के लिए वह समय के अनुरूप अलग-अलग समय में अलग-अलग फसलें बीज रहे है, इससे आमदनी भी बनी रहती है और खेती की मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।
भोपाल सिंह ने आधुनिक उपकरण और औजार खरीदे, जिसमें पाॅवर टिल्लर, सीड ड्रिल, कल्टीवेटर, चैप कट्टर, ब्रश कट्टर आदि सभी मशीनों का संग्रहण किया और आधुनिक खेती के तरीकों को अपनाया और अपनी आर्थिकी को बढ़ाया। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की उपयोगिता के तहत खेत में निरंतर फ्रासबिन, शिमला मिर्च, फूल गोभी, पता गोभी, मटर, टमाटर और प्याज की फसलों को निरंतर उगा रहे हैं। इसके अतिरिक्त हल्दी, लहसुन, आलू आदि की भी खेती समय-समय पर करते है। कोरोना संक्रमण संकटकाल में भोपाल सिंह ने सब्जियों की विविधता के अंतर्गत लाॅकडाउन की अनिश्चितता में अच्छी आय प्राप्त की।
इन्हें कृषि, पशु पालन और सब्जी उत्पादन में अनेकों पुरस्कार मिले, जिसमें कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2015 में खण्ड स्तर पर श्रेष्ठ किसान, पशु पालन विभाग द्वारा वर्ष 2017 में श्रेष्ठ पशु पालक और वर्ष 2019 में श्रेष्ठ सब्जी पालक और अन्य कई ट्रोफियां प्राप्त की। आज अपने दृढ़ निश्चिय और केन्द्र व प्रदेश सरकार की किसानों तथा बागवानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बूते पर न केवल भोपाल सिंह बल्कि अनेकों किसान एवं बागवान कृषि बागवानी कार्यों में नई मिसाल कायम कर रहे हैं।