किन्नौर,
आज कल मोबाईल में कॉल करते ही सुनने को मिलता है जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं दो गज की दूरियां बना कर रखें । आखिर ये दवाई आएगी कब ढिलाई मिलेगी कब
अर्थव्यवस्था लुढ़क गई दवाई के चक्र में महंगाई आसमां छू गई
शिक्षा का स्तर छूट गया मजदूरी नौकरी छूट गई ।
कई कंपनियां बंद हो गई । रोजगार के साधन खत्म हो गये
कुछ लोगों के कोरोना वायरस के आने से लॉटरी जरूर लगी है
लाखों करोडो कमा गये ।
कोरोना ने जीना सीखा दिया कई लोगों को लेकिन इसी कोरोना ने लूटना भी सीखा दिया । सभी कह गये कोरोना ने इन्सान को जीना सीखा गया हाँ ये तो सच है जो ईमानदार थे । वे जीना सीख गये जो बेईमान थे वे भी कैसे धंधा करना है सीख गये ।
कोरोना दोनों तरह के लोगों को जीना सीखा गया ।
इस काल में हमनें उन मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारे ,चर्च आदि भी बंद दिखे ।हमने सीख लिया कैसे विपत्ति में सभी पीछे हट जाते है
वे भविष्यवाणी करने वाले वे झाड़ फूंक करने वाले
कोई भी इस कोरोना को मात नहीं दे सका ।हाँ हमारी पुरानी संस्कृति नमस्ते इसे जरूर दूरियां बनाने में कामयाब हुई है ।
जब तक दवाई नहीं तब तक कोई ढिलाई नहीं इस नियम को सभी अपनायें और बस जीते रहें । सामने कितने ही अजीज हमारे होंगे अब तो उनसे भी हमें डर लगता है। कहीं कोरोना संक्रमित तो नहीं । कितनी अजीब दुनियाँ हो गई । हवा,पानी सब शुद्ध हो गये इन्सान मुंह में मास्क के साथ घूम रहा है ।
वक्त बलवान है । कभी भी कुछ भी हो सकता है । अपने पराये हो सकते है पराये अपने हो सकते हैं । जीवन में दुःख कभी भी आ सकता हैं । आप इस कोरोना से सीख लें दो गज कई दूरी
मास्क लगना अब मजबूरी ।
आइये सुनते रहें जब तक दवाई नहीं तब तक कोई ढिलाई नहीं