हर जगह बिखरी है प्लास्टिक की बोतलें और चिप्स के पैकेट
जंगलों में फेंका जा रहा बिल्डिंगों का मलबा
वन्यजीवों को खतरा ,वनस्पति हो रही नष्ट
कुंभकर्ण की नींद सोया प्रशासन
शाम होते ही शराबियों की लगती है महफिल
वन विभाग नहीं कर रहा कोई कार्यवाही
शिमला,
राजधानी शिमला के भराड़ी और दूधली के जंगलों में प्लास्टिक और मलबे के ढेर आपको आम देखने को मिल जाएंगे । हर जगह प्लास्टिक की बोतलें तथा चिप्स रैपर ही नजर आएंगे, आखिर कोई क्यों प्रशासन सोया है कुंभकरण की नींद?
जी हां राजधानी शिमला के जंगल अब कूड़े और प्लास्टिक का ढेर बनते जा रहे हैं लोग यहां वहां कूड़ा फेंक रहे हैं प्लास्टिक की बोतलें फेंक रहे हैं चिप्स के रैपर्स फेंक रहे हैं मकानों का मलबा फेंका जा रहा है।
इससे वनस्पति को खतरा और बने जीवन पर संकट बन गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इसी तरह से लोग प्लास्टिक और मलबे को फैलाते रहे तो ना ही जंगल बचेंगे ना ही साफ हवा।
यहां के स्थानीय निवासी डॉ विनोद नाथ का कहना है कि एक समय हुआ करता था जब घने जंगल हुआ करते थे और हम किताबें उठाकर जंगलों में पढ़ने आया करते थे उस समय जंगल बिल्कुल घने हुआ करते थे डॉ विनोद नाथ ने बताया कि अब समय वैसा नहीं रहा है और ना ही जंगल वैसे हैं क्योंकि हर जगह कूड़े, प्लास्टिक और मलबे के ढेर नजर आ रहे हैं जो चिंता का विषय है। प्रशासन को इस बारे में संज्ञान लेना चाहिए नहीं तो हमारे जंगल नष्ट हो जाएंगे।
ठीक उसी तरह से जयपुर से आए शुभम शर्मा जो कि अपनी पढ़ाई शिमला में कर रहे हैं उनका कहना है कि मैं जयपुर से शिमला अपनी पढ़ाई पूरी करने आया हूं और जंगलों की स्थिति देखकर मन बिल्कुल परेशान हो जाता है और दिल में घबराहट सी होती है कि हमारी आगे आने वाली पीढ़ी का क्या होगा?? क्योंकि आने वाले समय में ना तो जंगल रहेंगे ना ही स्वच्छ हवा जिस कारण बीमारियां बनेंगी और लोगों को और खतरा बढ़ जाएगा प्रशासन को इस बारे में जल्द ही कुछ ना कुछ कड़े कदम उठाने होंगे अन्यथा हम अपने हिमालय को नहीं बचा पाएंगे।