(मेरी भारत मां का विभाजन)
प्रथम विभाजन भारत-पाक ,
जिससे कट गई भारत की नाक
आधी रात दिन 18 जुलाई का,
लगता नहीं दिन था वो भलाई का
टूट गया भारत का तारा,
हो गया मेरी मां का बंटवारा
जो हिंदू मुस्लिम थे भाई भाई,
वो देखना ना चाहते थे एक दूसरे की परछाई
दोनों के बीच आ गई लंबी खाई ,
जनता तब बहुत रोई और पछताई
द्वितीय विभाजन में बट गया बंग, भारत का हो गया अंग भंग
कर्जन ने बांटा था बंगाल ,
सभी भारतीय हुए बेहाल
कर्जन हो गया मालामाल,
स्वर्ण भारत हो रहा कंगाल ,
तृतीय हुआ कश्मीर का बंटवारा
प्रेम का नहीं कोई चारा
धरती का स्वर्ग रो रहा बेचारा राजनीति का खुला पिटारा ,
टूट गए जाने कितने घर परिवार ,
रहा किसी में नहीं ओ प्यार ,
अखंड भारत का टूटा स्वप्न ,
भारत का हो गया अंग भंग
बट रहा है देश , बट रहा है प्रदेश ,
अब मां के पास कुछ रहा न शेष
जो भी है वह है अवशेष ,
सरफरोशी की तमन्ना लिए बिस्मिल्लाह चल दिए
कई शहीदों की कुर्बानी राजनीतियों ने व्यर्थ किए
रो रही बेहाल हो ,जुए में हारी सी मां ,
अखंड भारत की तमन्ना कब पूरी होगी यह सोचे मां ,l