अजीबो गरीब दुनिया
कहां कहां आ गया मैं
मारामारी देखी चहू ओर
बच्चा तरसे दूध को
कैसी मजबूरी
मजदूर की
ए खुदा
क्या हो रहा तेरी दुनिया में
मां से भात भात मांगते
जान गई नन्ही जान की
गड़ गया शर्म से जमीन में
जानकर बेटी थी
वो किसान की
गंदी हिंसक निगाहें थीं
फटे पुराने पैबंद भरे
परिधान से लिपटे
अर्धनग्न शरीर पर
उस शालीन इंसान की
खोजा देखा भाला पाया
लाज थी वो
गरीब बाप की
मजबूरी भूख को निचोड़ना
आदत थी
उस शौकीन बिगड़े नवाब की
वो कपड़ा मिल मालिक था
बेटी का बाप
उसका मुलाजिम था
भारी मौसम है बरसात का
गुजरा राह से सुना
कच्चा मकान गिर गया
मलकू मिस्त्री
बीवी बच्चों समेत
दब के मर गया
देखा
सामने आलीशान मकान
मलकू ने ही बनाया था
औरों को बसाने के चक्कर में
उस बेचारे ने क्या पाया था
अजीबो गरीब दुनिया
कहां आ गया मैं
मारामारी देखी चहूं ओर
मारामारी देखी चहूंओर