" हिंदी भाषा "
हिंदी की यही अभिलाषा
हिंदी बने राष्ट्रभाषा...
हम क्यों भूल रहे है अपनी भाषा ...
हिंदी से ही है हमारी परिभाषा ।।
हिंदी के जोर पर ही देश हुआ स्वाधीन ।
अब घर बाहर क्यों हो रही है हिंदी की तौहीन ।।
हिंदी हमारा स्वर व्यंजन हमारी पहचान है ।
हिंदी हमारा ज्ञान विज्ञान व अभिमान है ।।
हिंदी में गूंजते वेद , पुराण और पवित्र ग्रंथ हैं ।
हिंदी हमारी मातृभाषा विधाता का वरदान है ।।
जो करेगा देश की भाषा का सम्मान ।
वह देश विश्व भर में पाएगा,
विकास की ऊंची उड़ान ।।
आओ मिलकर करें
हिंदी का सम्मान ।
तभी बनेगा देश महान ।।
लोकेश चौधरी "क्रांति"
(स्वरचित )
गुरुग्राम