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कहानी

तलाश

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प्रीति शर्मा असीम | June 17, 2020 05:03 PM

तलाश

कंचन मोबाइल फोन देख रही थी। फोन देखते -देखते फेसबुक पर उसे अपनी सहेली निधि की कुछ तस्वीरें दिखी।वह और उसका पति दोनों मनाली घूमने गए हुए थे ।बहुत सुंदर तस्वीरें थी। कंचन को याद आ गया कि पिछले साल हम जब उसकी शादी में गये थे। तो कितनी खुश थी। निधि बता रही थी कि उसने सोचा भी नहीं था कि घरवाले मेरी और जतिन की शादी को मान जाएंगे ।हमारा आठ साल का प्यार अब परवान चढ़ा है ।सच में ....बहुत खुश थी कह रही थी ,जैसा मैं चाहती थी वैसा पति प्रेमी के रूप में पाकर वह बहुत खुश थी। और आज उसकी तस्वीरें  यहीं बता रही थी कि वह बहुत खुश है ।

तभी उसे रितिका का फोन आ गया उसने उसे बताया कि उसकी शादी अखिलेश से करने को घरवाले मान ही नहीं रहे अगर वह थोड़ी मदद कर दे दो हो सकता है। घरवाले मान जाए रितिका ने उसे बताया कि वह अखिलेश से बहुत प्यार करती है अगर उसकी शादी नहीं हुई तो क्या उसके बिना रह नहीं सकती वो किसी और से शादी करेगी ।
कंचन ने उसे कोशिश करने को बोला कि मैं बात करती हूं अगर बुआ जी मान गए तो ठीक है। वरना जैसा उनका घर परिवार है वह सोच रही थी कि बुआ जी और उनके परिवार वाले मानेंगे नहीं ।उधर कंचन फोन रख के सोच में पड़ गई कि निधि की किस्मत अच्छी है उसको इतना प्यार करने वाला प्रेमी पति के रूप में मिला और इधर रितिका अपने प्यार को बचाने के लिए कोशिश कर रही है कि उसे मिलेगा कि नहीं ।
कंचन सोच में पड़ गई सच में प्यार बहुत खूबसूरत होता होगा जिनको मिलता है या जिनको हो जाता है इसी सोच में उसने अपने अंदर झांका, सच में एक दूसरे को देख कर चाहने से प्यार हो जाता है और उसने तो अपनी पसंद की शादी नहीं की घरवालों ने यहां की उसी को प्यार किया लेकिन क्या सच में वह प्यार था या जरूरत बन के रह गई समान की तरह। जिसे आपकी भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं है आप बस जरूरतों को पूरा करते हो इसलिए आपकी भूमिका है प्यार है यह बस मान के चला जाता है। लेकिन भीतर तक सब खाली ही रह जाता है ।
घड़ी का घंटा सुनकर उसका ध्यान घड़ी पर गया। दो बजते ही अपने बेटे को स्कूल वेन से लेने गली के मोड़ पर पहुंची तो उसे निधि बस से उतरती हुई दिखाई दी ।निधि तुम..... हां मैंने भी स्कूल ज्वाइन कर लिया है ।तुम्हारी तो अभी छः महीने पहले शादी हुई थी बस शादी के बाद पता चला कि वह प्यार सारा वहीं तक था अब वह एकदम बदल चुका था मां का अच्छा बेटा बनकर उसे मेरी भावना से कोई लेना देना नहीं है ।
कंचन बेटे को लेकर वापस घर आ गई । लेकिन प्रेम की तलाश अब भी पहेली बना हुआ है एक तरफ वह है जो प्रेम विवाह कर के भी अतृप्त ही रह जाते हैं कि कोई उन्हें समझे ।एक तरफ वो थी जिसने संस्कारों के साथ प्यार किया लेकिन कोई नहीं समझा और एक तरफ वो है जो सोच रही है अगर उसे उसका प्यार नहीं मिला तो वह मर जाएगी शायद अगर उसे मिल जाएगा तो वह भी निधि की तरह या फिर उसके जैसा ही जीवन बिताएगी ।प्यार को तलाशते हुए।

 

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