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प्यार की परिभाषा

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प्रीति शर्मा असीम | July 19, 2020 03:51 PM
प्यार की परिभाषा
 
प्यार लफ्जों में बयान नहीं हो पाता ।यह आंखों से होते हुए दिल में उतर जाता है। जो ढाई अक्षर प्यार के समझ जाता है ।उसकी जिंदगी बदल जाती है। इन शब्दों में वह जादू है या यह कह लें कि यह ढाई अक्षर ईश्वर को प्राप्त करने की कुंजी है।
      "प्यार आंखों पर लगाये चश्में की तरह है" जिसको लगाते सारी दुनिया सुंदर लगती है। हर चीज प्यारी लगती है। पत्थर भी सुनने लगते हैं हवाएं छूकर ऐसे जाती हैं मानो कुछ कह रही हो । जीवन उमंग -तरंग से भर जाता है। 
नफरतों के लिए कोई जगह नहीं होती ।आप जिस प्यार की औरा में बहे जाते हैं आपको महसूस होता है कि सारी दुनिया बहुत अच्छी है। एक उर्जा आपको प्रेम के साथ बहाती हुई जीवन को रंगों से भरती हुई ईश्वर की सत्ता को महसूस करती हुई निरंतर बहती जाती है। मन शांत रहता है आप निरंतर कर्म करते हुए प्रेम की एक अलौकिक लौ में हमेशा प्रकाशित रहते हैं।
 
लेकिन जैसे ही यह प्रेम का चश्मा उतरा। दृश्य भी बदल जाता है नफरतें उभर आती है अपना पराया दिखने लगता है आंखों का धुंधलापन दिमाग और मनों को कलुषित कर जाता है ।मतलब, फायदे सामने आ जाते हैं। फिर भटकन शुरू होती है।
 प्यार विश्वास को जन्म देता है । यह परिवार, समाज ,देश, विश्व को जीवन देता है ।मरना तो एक दिन सबको है लेकिन जब हम प्यार में मरते हैं तो जिंदगी में एक आनंद होता है हम खुशी से जीवन की परिपूर्णता को जीते हुए अपनी आत्मा को स्वतंत्र कर देते हैं। प्यार कीजिए आंखों पर प्यार का चश्मा हमेशा लगा कर रखें ताकि सारी दुनिया बहुत खूबसूरत प्यारी लगे हर कोई अपना लगे। 
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