Saturday, February 22, 2025
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
-
लेख

महाकवि तुलसीदास #नारी निंदा के आरोप को खारिज करता शोध

-
डायरेक्टर डॉ चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित डिलीट | July 27, 2020 10:00 AM

विश्व वरेण्य महाकवि गोस्वामी तुलसीदास सामाजिक और सांस्कृतिक क्रांति के महान चिंतक थे,
जिन्होंने रामचरितमानस के माध्यम से नारी स्‍वतंत्रता का संदेश भी दिया था।


#गतिविधि रची नारी जग माहीं।
पराधीन सपनेहु सुख नाही


कहकर जहां महाकवि ने स्वतंत्रता का समर्थन किया वही नारी को परतंत्रता के बंधन से मुक्त कराने का भी उद्घोष किया था।


रामचरितमानस की चित्रकूट से संवाद अट्ठारह सौ सड़सठ की एक दुर्लभ हस्तलिखित प्रति हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध अनुसंधानकर्ता डॉ चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने खोजने में सफलता प्राप्त की है जिस को गोस्वामी तुलसीदास की मूल प्रति से प्रचलित किया गया जो प्राचीन हस्त निर्मित कागज पर काली स्याही से 11.5 *8.5के आकार में उपलब्ध हुई है। इस प्रति में

#महा वृष्टि चलि फूटि कियारी।

जिमि स्वतंत्र होइ विचरै नारी।।

पाठ मिलता है जिसके आधार पर अर्थ और संदर्भ नारी के स्वतंत्रता की ओर चला जाता है। चरै शब्द गति और भक्षण के अर्थ में है जिसका अर्थ है गतिशील होना और शक्ति संपन्न होना अर्थात नारी में दुर्गा की शक्ति है और सामाजिक प्रगति की भी।वली उपसर्ग से जुड़कर चरै शब्द से बिचरै शब्द बनता है।
गीता प्रेस गोरखपुर में छपी प्रतियों में विचारे के स्थान पर बिगड़े पाठ मिलता है जबकि गीता प्रेस गोरखपुर की हस्तलिखित प्रतियां खोज में प्राप्त इस प्रति के बाद की है।
अतः प्रामाणिकता के दृश्य से चित्रकूट खोज में प्राप्त यही प्रति प्रामाणिक सिद्ध होती है और इससे सिद्ध होता है कि गोस्वामी तुलसीदास नारी की स्वतंत्रता के पक्षधर थे।
साहित्य के प्रसिद्ध अनुसंधानकर्ता और विद्वान डॉ ललित से यह भी बताया गोस्वामी तुलसीदास पर नारी निंदा का जो आरोप लगाया जाता है वह सर्वथा गलत है।

ढोल, गवार, शुद्र, पशु, नारी ।

सकल ताड़ना के अधिकारी।

पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने यह पंक्ति महा कवि रहीम जो चित्रकूट में ही थे उनके एक प्रसिद्ध दोहे #पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून के प्रत्युत्तर में लिखा था। इस दोहे में पानी शब्द के तीन अर्थ थे गोस्वामी तुलसीदास ने अपने दोहे में 3 के स्थान पर 5 अर्थ देने वाले ताडना शब्द का प्रयोग किया। ताड़ना शब्द के अलग-अलग अर्थ है जो ताड़न, डाट, पीटने बजाने के अलावा नारी के संदर्भ में एक अर्थ देता है जिसका अर्थ है प्यार ताड़न शब्द प्यार के अर्थ में है अर्थात नारी को चाहे वह जिस रूप में हो बेटी बहन और मां उसे प्रेम की आवश्यकता होती है। प्राचीन शब्द कोश में और आप्टे शब्दकोश में

#ताडन का अर्थ #प्यार बताया गया है।

तुलसी जयंती के परिप्रेक्ष्य में गोस्वामी तुलसीदास का पुनर मूल्यांकन करने की आवश्यकता पर बल देते हुए राष्ट्रीय रामायण मेला चित्रकूट के संस्थापक संचालक एवं चंद्र दास रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ चंद्रिका प्रसाद दिक्षित ललित से कहा गोस्वामी तुलसीदास आज भी प्रासंगिक है और नारी संवेदना को लेकर उन्होंने जो क्रांतिकारी संदेश मध्य युग में प्रदान किया था वह आज भी उतना ही सटीक और अर्थवं प्रतीत होता है।
डॉचंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित, डीलिट

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और लेख खबरें
-
-
Total Visitor : 1,71,34,544
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy