झूठ और सच
एक गाँव में दो महिलाएं रीता और सीता अगल-बगल रहती थीं उनमें
रीता धनवान थी और सीता बहुत ही विपन्न । सीता की गरीबी ने उसे बहुत ही दयालु और दुखकातर बना दिया था लेकिन उसकी गरीबी के कारण उसका कोई आदर नही करता था । लेकिन उसकी पड़ोसी रीता सदैव उससे डाह रखती थी। मिलने पर तो मीठा-मीठा बोलती लेकिन उसे नीचा दिखाने का कोई न कोई अवसर तलाशती रहती ।
एक दिन सीता की बेटी के लिए घर बैठे ही रिश्ता आ गया किंतु विवाह की रस्मों के लिए भी उसके पास पैसा नही था । वह दौड़ी -दौड़ी रीता के पास गई और पूरी बात बताई । रीता कपट भाव से उसकी मदद करने को तैयार हो गई । आज सीता बहुत खुश थी कि रीता चाहे कहती कुछ भी हो लेकिन मेरे काम करने को झट तैयार हो गई । विवाह के कुछ दिनों के बाद सीता धान की फसल बेंचकर रीता का धन ब्याज सहित लौटा देती है । कुछ समय बीतने पर रीता यह कहते हुए सीता को अपने पास बुलाती है कि मेरा पैसा कब लौटाओगी । यह बात सुनकर सीता चौंक जाती है और कहती है मैंने तो तुम्हारा पैसा पहले ही लौटा दिया था तुम्हे इस तरह झूँठ नही बोलना चाहिए । रीता बराबर कहे जा रही थी कि तुमने मेरा पैसा कब लौटाया ? यह सुनकर सीता बोली कि तुम नही मानोगी तो मै पंचायत बुलाऊँगी यह सुनकर रीता और जोर - जोर से चिल्लाने लगी । सीता बोली तुम धनवान हो कुछ भी बोल सकती हो लेकिन तुम्हारे पाप का घड़ा अब भर चुका है जीत सच की ही होगी । मैं अब पंचायत बुलाकर ही रहूँगी । रीता का अर्न्तमन बड़ा ही कठोर था पर सीता अपनी ईमानदारी और सत्यता पर अड़ी थी । कुछ लोग सीता को बेइमान ही मान रहे थे क्योंकि रीता हर मिलने जुलने वाले से मीठी बोली में अपने परोपकार और सीता की बेइमानी का किस्सा सुनाती ।
इधर सीता यह सोंचकर चिन्तित हो रही थी कि ऐसी बदनामी होने पर कोई भला आदमी कभी किसी जरूरतमंद की मदद करने को तैयार नहीं होगा । उसी भीड़ से देवी दद्दा बोल उठे उस महिला की फरेबी कौन नही जानता यह धन दौलत उसने बेइमानी करके ही इकट्ठी की है । कुछ लोग इस बात को समझ रहे थे कुछ नही । अंत में सीता ने पंचायत लगाने की प्रार्थना की । पंचायत में रीता और सीता को बुलाया गया । सीता बोली सांच को आँच क्या? किंतु रीता हिचकिचा रही थी बोली मैं पंचायत क्यूँ जाऊँ मै बड़े घर की बेटी हूँ नीच- कौम, रेया - मज़दूरों की कोई इज्जत तो होती नही ऐसी ऊल जलूल बातें बनाए जा रही थी । उसकी ना नुकुर ने ही साबित कर दिया कि रीता झूँठ बोल रही है और सीता सच ।
इस झूँठे आरोप में सीता को फंसाने के लिए रीता पर जुर्माना लगाया गया कि रीता सीता के घर वर्ष भर का राशन भरेगी । रीता ने पकड़े जाने पर अपनी गलती मानते हुए यह शर्त मंजूर कर ली । रीता सीता को अपने गले लगाते हुए बोली अब से हम दोनों में कोई भेद नहीं है ।हम दोनों प्यारी बहनोंकी तरह रहेगें ।
डा ० अर्चना मिश्रा शुक्ला
प्राथमिक शिक्षक एवं साहित्यकार
कानपुर नगर
उत्तर प्रदेश