मैं खामोश हूं तो क्या,
मेरे हुनर बोलते हैं ।
पक्षियों को जो मिलती है मंजिल,
वो नहीं उनके खुले पर बोलते हैं।
कहते हैं किसी का मजाक न बनाना,
अक्सर खुशियों के कदम वहीं डोलते हैं।
बुलंद रख हौसला तू, ऐ परवाज!!!
मंजिल तक कदम खुद-ब-खुद चलते हैं।
कोई चले ना चले चलता जा,
हिम्मत जुटा आगे बढ़ता जा।
चाँद न सही सितारे तो जगमगाएँगे,
काफिले खुद ब खुद बन जाएँगे।
तुझे मुकाम यूं न मिल पाएगी,
चलता चला जा मंजिल खुद पास आएगी।
हिम्मत हार ज्ओ गयी तो कुछ न पाएगी,
जी जान लगा कामयाबी मिल ही जायेगी।
गुजरा वक्त याद न कर,
मुक़द्दर से फरियाद न कर,
जो तेरे हिस्से है मिल ही जाएगी ,
हौसला कर लिया है तो रोशनी नजर आएगी।
किस्मत अपनी तू खुद लिखता है,
तूफानों से खुद लड़ कर सिखता है,
फिर गुहार बेवजह क्यों करता है ?
मिलने साहिल से तूफान कब रुकता है?