*श्रीमती प्रीति शर्मा "असीम "की रचना शीर्षक:"स्वतंत्रता का मूल्य" का एक समीक्षात्मक अध्ययन*
स्वतंत्राता का मूल्य शीर्षक कविता में रचनाकार ने वेद को आदर्श माना है।सोच की दासता और अंधविश्वास से मुक्त होकर ही स्वतंत्राता के अर्थ को समझा जा सकता है।राम और कृष्ण के बताये रास्तों पर चलकर ही स्वतंत्र जीवन की अनुभूति की जा सकती है।भारत के स्वतंत्राता सेनानियों से पूछिये कि स्वतंत्रता का असली मायने क्या होता है?पूछिये बाल,लाल,पाल,बोस,शिवा जी और राणा प्रताप से जिनके वलिदान के एक-एक कतरे से स्वतंत्रता की अमर कहानी स्वर्णाक्षरों में अंकित है।भारतीय उच्च आदर्शों ,जिनमें मानवता और मानवीय संवेदनाओ को सर्व प्राथमिकता दी गयी है,में रच-बस कर ही स्वतंत्रता के आत्मिक-आध्यात्मिक और मनो-सामाजिक मूल्यों को अंगीकार किया जा सकता है।
स्वतंत्रता हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है।परतंत्रता जीवन को अर्थहीन बना देती है।उच्च विचारधाराओं के वैदिक श्वांस में ही स्वतंत्रता की आत्मा अपना अर्थ रखती है।
साहित्यकार एवं रचनाविद आदरणीया श्री मती प्रीति शर्मा "असीम "ने बड़े अच्छे ढंग से स्वतंत्रता के मूल्य को सुस्पष्ट करने का सफल प्रयास किया है।आदरणीया प्रीति जी को बहुत बहुत बधाई।
डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801