गुरु नानक देव जी के दस संदेश : इक ओंकार , लोभ का त्याग एवम् स्व अर्जन ,मेहनत व ईमानदारी , धन का प्रलोभन न करना ,स्त्री जाति का आदर , तनाव मुक्त एवं प्रसन्नता , आत्मानुशासन, अहंकार का त्याग एवं विनम्र भाव , संपूर्ण संसार एक घर , प्रेम , एकता एवम् भाईचारा . निसंदेह , समाज देश और विश्व की समस्त वर्तमान ज्वलंत समस्याओं यथा स्वा र्थ , वैमनस्य , जातिगत उन्माद , गरीबी , असमानता , रंगभेद , नस्लभेद इत्यादि को दूर करने हेतु गुरु के यह रामबाण संदेश हैं ।
श्री गुरु नानक देव जी की अमर वाणी की शास्वत ता एवम् प्रासंगिकता :- श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं एवं वाणी अजर - अमर हैं . देश परिस्थितियों एवं काल खंडों की सीमाओं से ऊपर हैं , एवं पृथ्वी एवं मानव - जाति के अस्तित्व तक प्रासंगिक एवं उपयोगी हैं ।
व्यक्ति विश्व की इकाई है एवं विश्व का निर्माण व्यक्तियों के समूह से होता है . दोनों का कल्याण अन्यान् योश्रीत है एवं गुरु जी के संदेश मनुष्य के आत्म - कल्याण द्वारा एक ऐसे विश्व की रचना करने का संदेश देते हैं जो समता पर आधारित , समभाव को प्रोत्साहित करने वाली एवं प्राणी मात्र के कल्याण की भावना पर आधारित हो . वर्तमान समय में मानव एवं विश्व जिन विकृतियों से ग्रसित है उनसे उबरने के लिए गुरु जी की वाणी मार्गदर्शन प्रदान करती है जैसा कि सुखमणि साहिब में उल्लेखित है : -
" नानक नाम चढ़दी कला ,तेरे भाने सरवत का भला " l
अर्थात नानक जी की शिक्षाओं रूपी सागर द्वारा भवसागर की वैतरणी पार की जा सकती है. दूसरे शब्दों में स्वीकार किया गया है कि , " नानक नाम जहाज है , जो चढ़े सो उतरे पार , जो श्रद्धा कर सेव दे , गुरु पा र उ तारन हार" ( श्री गुरु ग्रंथ साहिब ) . इस प्रकार , गुरु नानक देव जी की सास्वत वाणी सदैव प्रासंगिक हो कर मानव एवं विश्व के कल्याण , समृद्धि एवं विकास का मार्ग सदैव प्रशस्त करती रहेगी . ( 30 नवंबर 20- श्री गुरु नानक जनमोत्सव )। + डॉक्टर अमिताभ शुक्ल